न्यायपालिका न्याय प्रदान करना || Judiciary (delivering justice)

न्यायपालिका ( न्याय प्रदान करना )

  1. भारत में न्यायपालिका स्वतन्त्र रूप से कार्य करती है। भारत में नीचे से लेकर ऊपर तक सभी न्यायालय एक ही व्यवस्था में संगठित है। जिला न्यायालय, उसके ऊपर राज्यों के उच्च न्यायालय तथा सबसे ऊपर भारत का उच्चतम (सर्वोच्च न्यायालय होता है।
  2. सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) देश का सर्वोच्च अपीलीय न्यायालय है। जो नई दिल्ली में स्थित है। इसके निर्णय देश के सभी न्यायालय को मानने होते हैं ।
  3. भारत में सर्वोच्च न्यायालय अपील का अन्तिम न्यायालय है।
  4. भारत का उच्चतम न्यायालय नागरिकों के मूल अधिकारों का संरक्षक है।
  5. यदि संसद कोई ऐसा कानून बनाती है जो संविधान के प्रावधानों के विरुद्ध है तो उच्चतम न्यायालय उस कानून को असंवैधानिक घोषित करके रद्द कर सकता है।
  1. उच्चतम न्यायालय बहुत महत्वपूर्ण एवं शक्तिशाली है। उसके निर्णय के बारे में संसद में किसी प्रकार की चर्चा नहीं की जाती है। इसे अपनी मानहानि करने वाले को दण्ड देने का अधिकार प्राप्त है।
  2. वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश सहित 34- न्यायाधीश हैं। B. सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक अपने पद पर कार्य 8.
  1. सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश केवल महाभियोग की प्रक्रिया से ही पद से हटाया जा सकता है। संवैधानिक पीठ में कम-से-कम 5 न्यायाधीशों का होना अनिवार्य है।
  2. उच्च न्यायालय राज्य में शीर्ष न्यायालय होता है। भारत में कुल 25 उच्च न्यायालय हैं उच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीश होते हैं । वे 62 वर्ष की आयु तक अपने पद पर कार्य कर सकते हैं।
  3. लोकसभा के लिए 25 वर्ष तथा राज्य सभा के लिए उम्मीदवार की उम्र 30 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए ।
  1. राज्य सभा संसद का उच्च सदन ( Upber House) है।
  2. राज्य सभा सदस्यों की संख्या अधिक से अधिक 250 हो सकती है। इनमें से 12 सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किया जाता है।
  3. राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल छः वर्ष है। इसके एक तिहाई सदस्य हर दो वर्ष बाद अवकाश ग्रहण करते हैं और उनके स्थान पर नए सदस्य चुनकर आते हैं। इस प्रकार राज्य सभा कभी भंग नहीं होती है। इसीलिए इसे ‘स्थाई सदन’ कहा जाता है।
  1. एक समय में एक व्यक्ति केवल एक ही सदन का सदस्य रह सकता है। 16. भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है। वह राज्य की कार्यवाही का संचालन करता है।
  2. धन से संबंध रखने वाला विधेयक लोकसभा में ही प्रारम्भ किया जा सकता है। राज्यसभा में उन पर केवल चर्चा की जाती है।
  3. वर्तमान में राज्यसभा में 245 सदस्य हैं। 233 सदस्यों को विधानसभा सदस्यों द्वारा चुना जाता है और 12 राष्ट्रपति द्वारा कला, साहित्य, ज्ञान और सेवाओं में उनके योगदान के लिए नामित किए जाते हैं।
  4. संसद का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है देश के लिए कानून बनाना और कानून बदलन जिस विषय पर कानून बनाना होता है उसका एक प्रस्ताव तैयार किया जाता है उसे विधेयक (Bile) कहते हैं। ये विधेयक दो प्रकार के होते हैं साधारण विधेयक तथा धन विधेयक
  5. साधारण विधेयक लोकसभा या राज्यसभा में से किसी में भी पहले पेश किया जाता है। इस विधेयक को कोई भी सदस्य पेश कर सकता है।
  6. जब विधेयक किसी मंत्री द्वारा प्रस्तुत किया जाता है तो इसे सरकारी विधेयक कहते हैं और जब कोई विधेयक मंत्री के अलावा किसी सदस्य द्वारा प्रस्तुत किया जाता है इसे गैर सरकारी विधेयक कहते हैं।
  7. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से पहले दोनों सदनों से विधेयक पारित होना जरूरी है।

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